Thursday, May 19, 2022
सुधा सिन्हा निषिद्ध जहरवादी 08.09.2020
निषिद्ध जहरवादी
साँप को भूख से मरता देख अगर कोई दयावान उसके मुँह में दाना-पानी डालने जाये, तो उस हाल में भी वह डँसने से बाज
नहीं आयेगा। साँप उपकारी के प्रति भी कृतज्ञ नहीं होता। उसकी जहरवादी प्रकृति नहीं बदली जा सकती। साँप नामक
बीमारी का एक ही इलाज है-- उसके फण को कुचल देना।*पूरी दुनिया इस सत्य को मान चुकी है। मुसलमानी सँपोलों की
बढ़ती और इनसे उत्पन्न विषाक्त वातावरण की मारकता ने आत्मरक्षा के उपायों को अनिवार्य बना दिया है। मानव विलोपन
को रोकना है तो इस हिंस्र जन्तु के विषाक्त फण को कुचलना ही होगा।
सभी देश स्थानीय स्थिति के अनुसार उपाय कर रहे हैं। यह अनुभव common है कि मुसलमान जहरीली कौम है; हिन्दी में
'रोग' और अंग्रेजी कें माने जाने वाले इस सम्प्रदाय से मुक्त होने की अफरा-तफरी मची हुई है।
भारत स्वभाव से शान्त है; ऐसा कि लोगों को निष्क्रिय-सा दिखता है। लेकिन भारतीय बहुसंख्यक जनगण ने एक अकाट्य निर्णय ले लिया है;
यह बाहरी तर्क पर नहीं, आंतरिक बोध पर आधारित है। भारतीय psyche में यह बात पैठ चुकी है कि मुसलमान नामक
सम्प्रदाय सनातन संस्कृति केलिए असंगत और अविहित है; तदनुकूल स्थितियां बन रही है, बनती जायेंगी। अब यहाँ जो
मुसलमान की तरफदारी करेगा, वह भी कालान्तर में इसके साथ ही irrelevent हो जायेगा।
ॐ08.09.2020 सुधा 9047021019
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