Sunday, May 22, 2022

सुधा सिन्हा 11.05.2022 उत्तरदायित्व का अधिकारी

उत्तरदायित्व का अधिकारी समझ-बूझ के परे बात की जाती है; भारत में हिन्दू मुसलमान एक साथ शान्ति से रह रहे हैं -- इस तरह के कथन का विश्लेषण करते समय सवाल उठता है कि इस तथाकथित शान्ति का प्रमाण क्या है ? दूसरा प्रश्न यह कि जब सात दसक पूर्व ही भारत के मुसलमानों केलिए पाकिस्तान नामक दो बाड़े बना दिये गये, तब इतनी बड़ी संख्या में, उनके भारत में रहने का औचित्य क्या है ? इस प्रश्न पर मुसलमान का अनर्गल उत्तर सुनाई देता है कि वह अपनी मर्जी से भारत में रह रहा है। धत्तेरी मर्जी की ! पाकिस्तान बनने के बावजूद, आधे से अधिक मुसलमान भारत में, एक गहरी साजिश के तहद रह गया। कदम-कदम पर भारत विरोधी मनहूस मुसलमानी मंशा का पोल खुलता ही रहता है। अपनी हीनता को बेहूदी बातों और कुकर्मों से ढ़कने की असफल कोशिश में मुसलमान खुद ही नंगा होता चला जाता है। उसकी बेशर्मी का तमाशा देख कर भी हिन्दू खामोश रहता है। क्योंकि मुसलमानों की तरह हिन्दू हिंसक, बेशर्म और असंवेदनशील नहीं बन सकता। अगर भारत में कोई शान्ति बनी हुई है, तो उसका श्रेय हिन्दू को जाता है। लेकिन अब एक अंतरस्थ लहर की तपिश, भारत में सतह पर अनुभव की जा रही है। उसके प्रभाव से भारत के बहुसंख्यक जनगण में यह उत्तरदायित्व बोध कौंध रहा है कि राष्ट्र को अपवित्र संक्रमण से बचाने का गहन कार्य उसे ही करना है। दरिंदे मुसलमान आक्रमणकारियों और उन्हें अपना आदर्श मानने वाले भारतीय मुसलमानों, लालची ब्रितानियों और उनके प्रतिनिधि कांग्रेसियों, हरामखोर कामनिस्टों और राष्ट्रविरोधी अन्य छुटभैयों के कारण देश की जितनी क्षति हुई है, उसकी उजाले बाँट दो भरपाई करा कर देश को विकास पथ पर अग्रसर कराने का उत्तरदायित्व भारत के बहुसंख्यक हिन्दू जनगण का ही है। कर्मठ हिन्दू उत्तरदायित्व को सौभाग्य मानता है। उसे पता है कि उत्तरदायित्व का सम्मान करने वाले को उसे निभाने का वरदान प्राप्त हो जाता है; तदनुसार संसाधन भी उपलब्ध हो जाते हैं। और, यह जानी हुई बात है कि अवतारभूमि भारत, भारतीय संस्कृति तथा हिन्दुत्व को हानि पहुँचाने की कुचेष्टा करने वाला कहीं का नहीं रहा। हिन्दू प्रतीक्षा करता है कि नासमझों को भी यह बात समझ में आ जाये। परन्तु हर बात की एक समय- सीमा होती है। जिसने नासमझी को ही अपनी लीक बना ली हो, उससे किसी समझदारी की उम्मीद करना बेकार है। प्रत्येक क्षण कीमती है और उसका सदुपयोग भारत के हि‍त में हो, यह भी हिन्दुओं के उत्तरदायित्व में शामिल है। निकम्मों को छोड़कर और बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ते जाने की कला में हिन्दू निष्णात है। और, इस दिव्य सबल योग्यता में निहित है भारत का प्राचीन गुण-गौरव तथा उज्ज्वल भविष्य। तथास्तु।

No comments:

Post a Comment