Saturday, May 21, 2022

सुधा सिन्हा 04.02.2022 योगक्षेम

योगक्षेम योग कोई संयोग नहीं है। यह मानव की परम उपलब्धि है। हमें जो होना चाहिए, योग उस तक पहुँचाने का साधन है। यह साधना का राजपथ है। सबसे पहले यह शरीर को साधता है। प्राणवायु को अपने नियंत्रण में लेकर अणु-अणु तक संदेश भेजता है। सोये को जगाता है। जगे को सतर्क करता है। आंतरिक यंत्र को सक्रिय बनाता है। अवरोधित पुर्जों में तेल डालता है। ढीले पुर्जों को कसता है। यंत्र के समस्त अवयवों के बीच संतुलन लाता है। योग में एक सुस्थिर अखंड प्रशान्ति है। यह मानव तन-मन-प्राण की सारी हलचल को समेट कर उसे सुसंगत लय में बाँधती है। यह सुरक्षा आच्छाद बन कर बाह्य विसंगतिवों से भी बचाती है।क्षेम द्वारा योग की उपलब्धि सुरक्षित रहती है। इसकी क्रिया स्वचालित है। भगवत कृपा इसका संचालन करती है। मानव मन इस कृपा के प्रति जितना उन्मुख होता है़, उतना लाभ उसके पक्ष में जाता है। जो पूर्णत: अपौरुषेय है, योगक्षेम उसे मानव सुलभ बना देता है। तथास्तु। ॐ

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