Sunday, May 22, 2022

सुधा सिन्हा 08.05.2022 बड़ा दिखने का चक्कर

बड़ा दिखने का चक्कर बड़ा बनना अच्छी बात है, लेकिन बड़ा दिखने का चक्कर चलाना बहुत खतरनाक है। दिखने-दिखाने का पाखण्ड अधिकतर उसके द्वारा किया जाता है, जो सामर्थ्यहीन होने के बावजूद, किसी बड़े पद पर काबिज हो गया हो। जबाहरलाल को लेकर यही हुआ था। विडंबना है कि भारत की जनता ने जबाहरलाल को प्रधान मंत्री नहीं बनाया था !!! जबाहरलाल सांस्कृतिक दृष्टि से मुसलमान थे, यह उन्होंने स्वयं माना है। हिन्दुओं के प्रति उनके मन में हीन भावना थी जो समय-समय पर प्रकट होती रही। ''हिन्दुस्तान'' के प्रधान मंत्री से हिन्दुत्व के प्रति जो उत्तरदायित्वपूर्ण सम्मान अपेक्षित था, जबाहरलाल में उसका नितान्त अभाव था। इस अनकहे तथ्य को समझ कर भारत का बहुसंख्यक जनगण आहत हुआ। वह तो भारतीय शालीनता थी जिसने जबाहरलाल को लम्बा कार्यकाल पूरा करने दिया; अन्यथा इस हिन्दू विद्वेषी आदमी को, केवल अपने को बड़ा दिखाने का चक्कर चलाने की इतनी सुविधा न मिली होती। भारत जब स्वतंत्र हुआ तब, प्रधान मंत्री का चयन करने वाली समिति के मतानुसार, श्री बल्लभ भाई पटेल इस महत्वपूर्ण पद केलिए चुने गये थे। परन्तु जब मोहनदास करमचन्द गाँधी ने बल्लभ भाई को कहा कि तुम प्रधान मंत्री बनने से इन्कार कर दो, तो उन्होंने विनम्रता के साथ गाँधी की आज्ञा का पालन किया। और, समिति के मत के विपरीत जाकर मो.क.गाँधी ने जबाहरलाल को स्वतंत्र भारत का प्रथम प्रधान मंत्री बना दिया। मो.क.गाँधी का कुतर्क था कि वे जबाहरलाल के बाप को वचन दे चुके थे कि उसी के बेटे को प्रधान मंत्री बनायेंगे !!! यानी चयन समिति एक ढ़कोसला मात्र था।जिस भारत ने ब्रितानी उजाले बाँट दो शासकों को पदचच्युत कर दिया था और उन्हें वहिर्गमन को विवश किया, उस भारत का प्रधान मंत्री बनना बड़ी बात थी। जबाहरलाल को वही बड़प्पन हाथ लग गया। उसे ही भुनाने में उन्होंने लगभग सारा समय निकाल दिया। वह समय बहुत नाजुक था। देश के जनगण ने अत्यन्त कठिनाई से स्वतंत्रता हासिल की थी। मुसलमान आक्रान्ताओं और ब्रितानी राजकामियों ने भारत को लूट का माल समझ रखा था। उनके कारण राष्ट्र को भारी क्षति हुई थी। उन सारी हानियों से देश को उबारने केलिए कुशल नेतृत्व की आवश्यक्ता थी। लेकिन जिन्हें मो.क.गाँधी द्वारा प्रधान मंत्री बनाया गया था, वह तो खुद को बड़ा दिखाने का ही चक्कर चलाते रहे। किसी देश की सेवा केलिए प्रधान मंत्री होता है; परन्तु दुर्भाग्य से जबाहरलाल नामक व्यक्ति को बड़ा बनाने की दुर्भायपूर्ण मंशा से उसकी सेवा में ''भारत'' को ही परोस दिया गया। इतिहास आकलन करेगा कि भारत पर जबाहरलाल का थोपा जाना कितना अलोकतांत्रिक और हानिकारक था। तथास्तु।

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