Saturday, May 21, 2022

सुधा सिन्हा 30.03.2022 बिसात

बिसात किसी की हैसियत जाननी हो, तो उसे बोलने दें; उसकी भाषा, उसके हाव-भाव से आप उसके औकात तक पहुँच जायेंगे। यही हुआ दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ; वह जब ''कश्मीर फाइल्स'' नामक फिल्म की निन्दा के बहाने प्रधानमंत्री श्रीनरेन्द्र मोदी के विरुद्ध विषवमन करने लगा, बीजेपी संगठन के लोगों केलिए ऊल-जलूल बकने लगा, तब उसके उस लम्बे बकवास द्वारा प्रगट हुआ उसका अपना छोटापन। उसके मुँह से निकली हुई बातों की कालिमा उसके चेहरे पर कालिख पोत गयी। यह व्यक्ति चूड़ान्त पाखण्ड, वैमनस्य और हीनभावना से भरा है; इसने अपने-आप में कहीं भी किसी सकारात्मकता केलिए जगह रहने ही नहीं दी है। इतना ही नहीं, जिस किसी चीज अथवा व्यक्ति में उदात्तता हो, उसको यह अपना विपक्षी मानता है। अपने इस रोग के कारण यह राष्ट्रघाती बन चुका है। देश तथा हिन्दुत्व के शत्रुओं से साँठ-गाँठ कर यह राजनेता बनने का नाटक करता है। जिन्नावादी मुसलमानों और खालिस्तानियों के साथ इसकी घनी छनती है। राष्ट्र के शत्रुओं को तो ऐसे ही मिथ्याचारियों की तलाश रहती है। देश की राजधानी के मुख्यमंत्री पद पर बैठ कर राष्ट्र तथा संस्कृति को हानि पहुँचाने में लगे इस नकारात्मक अपतत्त्व पर शासन-प्रशासन की पैनी तथा सतर्क नजर बनी रहनी चाहिए। देश का बहुसंख्यक जनगण इसे अच्छी तरह पहचान गया है; अब यह public को धोखा देकर नहीं निकल सकता। तथास्तु। ॐ

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