Thursday, May 19, 2022

सुधा सिन्हा 20.04.2021 पार्श्वपरिवर्तन

पार्श्वपरिवर्तन बदलाव अचानक नहीं हो रहा है। पिछले बारह-तेरह सौ साल से लगातार ऊहापोह में पड़ कर देश को अपनी ऊर्जा गँवानी पड़ रही थी। उस विपरीतता के विरुद्ध प्रतिक्रिया होनी ही थी। आत्मचिन्तन का दौर बीत चुका है। निर्णय लेना अनिवार्य है। हत्यारे की नकली यारी मान्य नहीं है। ढुलमुल होने से काम चलने वाला नहीं है, क्योंकि राष्ट्र ने त्योरी चढ़ा ली है। छल-क्षुद्रम के बल पर सत्ता सथिआने वाले भी इस राष्ट्रीय कोप से सहम गये हैं। तभी कोई कोट पर जनेऊ डाल कर अपने को वर्णाश्रम का सदस्य बताना चाह रहा है, तो कोई गोत्र बता कर अपना हिन्दुत्व सिद्ध करने में लगा है।हिन्दुत्व !!! जो इसके वैभव से सम्पन्न हैं, उनके पाँव के नीचे ठोस सनातन भूमि है, मस्तक के ऊपर अनन्त आकाश है और चहुँ ओर व्याप्त विकास है। जो इसे खो चुके हैं, उनमें घर-वापसी की आकुल इच्छा है।सदावत्सला भारत माता ने अपनी उन संततियों के स्वागत हेतु अपना पवित्र आँचल फैला रखा है। *आइये ! हम-आप मिलकर सुविचारित रीति से इसे सम्भव बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ करें। तथास्तु। सुधा 9047021019

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