Sunday, May 8, 2022

ॐ सुधा सिन्हा -- सबै भूमि गोपाल की

सबै भूमि गोपाल की विकासक्रम में भारतीय जनगण किस उच्च स्तर तक पहुँच चुका है, इसका एक प्रमाण है मानवेतर प्राणियों तथा उद्भिजों के प्रति उसका श्रद्धायुक्त दायित्व भाव। सृष्टि के कण-कण के वैज्ञानिक महत्व के प्रति भारतीय बोध उन्मुख है, इसके अतिरिक्त उसमें है सब के साथ हार्दिक एकात्मता। यह सब बाहर से लादा गया कोई पाठ या अभ्यास नहीं है, बल्कि अंतर में विकसित स्वाभाविक मनोभाव है। पर्यावरणविद चाहें तो इसका उपयोग उदाहरण की तरह कर सकते हैं। गौ माता के अंग-प्रत्यंग में दिव्य शक्तियों का निवास है; यहाँ तक कि इसके मूत्र में प्राणरक्षक औषधि है और इसका गोबर अद्भुत sanitizerहै। गौ-सेवक बनना भारत में सौभाग्य की बात मानी जाती है। यहाँ गौ माता को अनेक अर्थगर्भित नामों के सम्बोधित करते हैं-- सौरभि, सुरभि, सुरूपा, बहुला, कामधेनु, नन्दिनी, कल्याणी, गैया आदि। इस माता केलिए भारतीय मन में स्नेहविह्वल शिशु का भाव है। जीवन भर इसकी कृतज्ञतापूर्ण सेवा करने वाले लोग जाते-जाते ''गोदान'' के माध्यम से इसे किसी सुपात्र के हाथों में सौंप जा‍ते हैं, ताकि यह उनकी कमी अनुभव न करे और सुरक्षित रहे। भारतीय जनमानस पर लगे उस आघा‍त की कल्पना कीजिए जब भारत की धरती पर बलात घुस कर दरिन्दे मुसलमानों ने गौ माता को हलाल करना शुरू किया होगा; हिन्दू हृदय में वह घाव अभी भी बना हुआ है। 'काल' उस पीडा का साक्षी है। और, वही इसके प्रतिकार में भी लगा है। माँग रही है भारत माता 2 मुसलमान-ईसाई-accidentalहिन्दू-कांग्रेसी-कॅाम्युनिस्टगैंग एक माफीआ समूह है। यह ऐसे सभी तत्त्वों का संहारक है जिनका सम्बन्ध भारतीय आस्था, गौरव तथा कीर्ति से हो। गोवंश भी उन्हीं दिव्य तत्त्वों मे एक है। इसके संरक्षण के प्रति हिन्दुओं की बढती सतर्कता से इस गैंग को असुविधा होने लगी है। यह गोभक्षी असुर समूह तरह-तरह की कुचेष्टाओं से स्थिति को अपने पक्ष में करना चाहता है। इसी कुचाल का नमूना है PETA का एक अद्यतम निरर्थक विज्ञापन। इस विज्ञापन से पता चलता है कि PETA को भारत विद्वेषी गैंग ने तो ग्रस ही लिया है, इस संस्था को nincompoop ही चला रहे हैं। भाई-बहन के स्नेह पर आधारित 'रक्षाबंधन' को अवमानित करने केलिए उस पर गोहत्या प्रसंग चिपकाना केवल बेतुका ही सिद्ध नहीं हुआ, यह तो भारतविद्वेषी गैंग के सिर पर ठीकरा बन कर फूटा। कोलाहल मच गया। रक्षाबंधन शुभेक्षापर्व है जो आध्यात्मिक रक्षाकवच सृजित करता है। इस श्रीसम्पन्न पवित्र त्योहार को demean करने की मंशा से गर्हित मुसलमानी गोभक्षी प्रकरण घुसाने की साजिश केलिए काला धन मुहैय्या करने वाला कौन है। यह माँग हो रही है कि PETA इस आशय का इश्तहार कत्लखानों के सामने लटकावे। इस विज्ञापनी दुर्भावना की पोल खुलने के बाद भारतविद्वेषी गैंग के दलाल इस तरह तडपने लगे जैसे गरम तवे पर खडे हों। कपार फूटने के भय से वे सम्पूर्ण हिन्दू समाज से भिडना नहीं चाहते; निहाई ढूंढते हैं जिस पर चोट कर अपनी खीस मिटा सकें। उनका पहला निशाना होता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ । भारतविद्वेषी गैंग का कमवख्त प्रवक्तता प्रकरान्तर से कहता है कि हिन्दू एक गैरसमझदार जीव होता है जो एक गाल पर चपत खाकर दूसरा गाल आगे कर देता है। इस गैंग का मानना है कि माँग रही है भारत माता 3 हिन्दुओं के तथाकथित मनमोहनी दब्बूपन को यह RSS बरबाद कर रहा है; अन्यथा वे लोग तो उसे मूर्ख बना ही लेते। इस गैंग की इन बेहूदी बातों का उत्तर देने की कोई आवश्यकता नहीं है; उसके आपराधिक कुकृत्यों के परिणाम ही उसे उत्तर देंगे। उसे यह भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या विश्व हिन्दू परिषद या ऐसी अन्य संस्थायें हिन्दुत्व के उसी ओजस्वी स्वभाव से प्रकट हुई हैं जिस पर भारतीय संस्कृति की सुरक्षा का दायित्व है। हिन्दुत्व के प्राचीर से ही टकरा कर भारतविद्वेषी गैंग बाप-बाप कर रहा है। कौन है इनका बाप ? बलात्कार-समलैंगिकता जैसी जघन्यताओं का जनक ''खच्चर'' (mixed breed animal) ? या मस्जिदों से हिन्दू नरों के कत्लेआम और नारियों को अपने खोभाड की लौंडी बनाने का एलान करने वाला पशु ? क्या PETA इन पशुओं का care taker है ? भारत को ऐसी संदिग्ध संस्थायें नहीं चाहिए। इस गोपालक पुण्यभूमि में ''गोबर्धन'' बनने पर पहाड भी पूजनीय बन जाता हैं। सर-सरिताओं का नीर पूजा घरों में स्थान पाता है। पत्थर में शालिग्राम का दर्शन करने वाला हिन्दू असली-नकली के बीच का फर्क जानता है। जिस भारत की मिट्टी में त्रिकाल के नीति-नियम समाहित हैं, वहाँ 'काल' चक्र की निर्भूल गति मार्गकंटकों को रौंदती चल रही है। भारतविद्वेषी गैंग को अपना संरक्षक मानने वाले PETA और उसके दलाल अपने-आपको उस चक्के के नीचे डाल रहे हैं; यह उनकी नियति है।गोपाल की इस भूमि में छल-छुद्रम अधिक देर नहीं टिक पाता। ॐ 20.07.2020

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