Thursday, May 19, 2022
सुधा सिन्हा धर्मादेश
धर्मादेश
स्वर्ग के सभाकक्ष में आपात बैठक बुलायी गयी थी।
सभी आमंत्रित सदस्य आ चुके थे; अल्ला की प्रतीक्षा
की जा रही थी। सभापति ने संयोजक को दुबारे
टोका--पता कीजिए, क्यों देर हो रही है।
बात हो गयी है सर ! वे रास्ते में थे; अब पहुँचने ही
वाले हैं।
''रास्ते में थे....मैंने तो उनके लिए हैलिकॅाप्टर भेजने
को कहा था !
उन्होंने मना कर दिया। कहा कि रमजान के पाक
महीने में हैलिकॅाप्टर पर नहीं चढते; ऊँट से आ रहे
हैं।
देर से ही सही, अल्ला आ गये और कार्रबाई शुरू हो
गयी। पहला आइटम भारत से सम्बन्धित था।
शिकायत थी कि मुल्ला-मौलबी मुसलमानों को स्वतंत्र
मतदान करने से रोकते हैं। फतवा जारी किया गया है
कि हर नमाज में अल्ला से गुजारिश की जाये कि
हिन्दुओं का नुमाइन्दा नहीं जीते। अल्ला से
विनम्रतापूर्वक पूछा गया कि उन्होंने इस पर क्या
किया।
''मैंने कुछ नहीं किया। मैंने अपने को पॅालिटिक्स से
अलग रखा है।''
''लेकिन आपके नाम पर तो खूब पॅलिटिक्स होती है;
ऐसे नारे लगाये जाते है-- भारत तेरे टुकडे होंगे
इंशाअल्ला-इंशाअल्ला ! यह पॅलिटिक्स नहीं तो और
क्या है?''
''वे लोग बकवास करते हैं। इन हल्लों से मेरा कोई
लेना-देना नहीं है।''
''मुल्ला-मौलबी गैरमुसलमानों को यह कह कर डराते
हैं कि आपने काफिरों को आग में भूनने केलिए भट्ठी
बना रखी है।''
''बिल्कुल झूठी बातें हैं। इन्क्वायरी करा ली जाय; मेरे
गरीबखाने पर कोई भटठी-वट्ठी नहीं है।''
''आपका कहना ही काफी है; इन्क्वायरी की कोई
जरूरत नहीं है। लेकिन सारी दुनिया में आपके नाम
पर मार-काट करने वालों पर कैसे नियंत्रण हो पायेगा
? वे आपका राज कायम करना चाहते हैं और आप
कहते हैं कि हमारा पॅलिटिक्स से कोई वास्ता ही नहीं
!''
''किसी को अपने नाम का गलत इस्तेमाल करने से
तो नहीं रोक सकता, लेकिन यकीन दिलाता हूँ कि
उन लोगों की कोई दुआ कुबूल नहीं होगी।''
''धन्यवाद, मिस्टर अल्ला !''
*
स्वर्ग में बैठक चलती रही। परन्तु धरती पर सनाका
मार गया। किस मुल्ला-मौलबी में हिम्मत थी कि
अल्ला के खिलाफ फतवा जारी करे !
धर्मादेश
स्वर्ग के सभाकक्ष में आपात बैठक बुलायी गयी थी।
सभी आमंत्रित सदस्य आ चुके थे; अल्ला की प्रतीक्षा
की जा रही थी। सभापति ने संयोजक को दुबारे
टोका--''पता कीजिए, क्यों देर हो रही है।''
''बात हो गयी है सर ! वे रास्ते में थे; अब पहुँचने ही
वाले हैं।''
''रास्ते में थे....? मैंने तो उनके लिए हैलिकॅाप्टर
भेजने को कहा था !''
''उन्होंने मना कर दिया। कहा कि रमजान के पाक
महीने में हैलिकॅाप्टर पर नहीं चढते; ऊँट से आ रहे
हैं।''
देर से ही सही, अल्ला आ गये और कार्रबाई शुरू हो
गयी। पहला आइटम भारत से सम्बन्धित था।
शिकायत थी कि मुल्ला-मौलबी मुसलमानों को स्वतंत्र
मतदान करने से रोकते हैं। फतवा जारी किया गया है
कि हर नमाज में अल्ला से गुजारिश की जाये कि
हिन्दुओं का नुमाइन्दा नहीं जीते। अल्ला से
विनम्रतापूर्वक पूछा गया कि उन्होंने इस पर क्या
किया।
''मैंने कुछ नहीं किया। मैंने अपने को पॅालिटिक्स से
अलग रखा है।''
''लेकिन आपके नाम पर तो खूब पॅलिटिक्स होती है;
ऐसे नारे लगाये जाते है-- भारत तेरे टुकडे होंगे
इंशाअल्ला-इंशाअल्ला ! यह पॅलिटिक्स नहीं तो और
क्या है?
वे लोग बकवास करते हैं। इन हल्लों से मेरा कोई
लेना-देना नहीं है।
मुल्ला-मौलबी गैरमुसलमानों को यह कह कर डराते
हैं कि आपने काफिरों को आग में भूनने केलिए भट्ठी
बना रखी है।
बिल्कुल झूठी बातें हैं। इन्क्वायरी करा ली जाय; मेरे
गरीबखाने पर कोई भटठी-वट्ठी नहीं है
आपका कहना ही काफी है; इन्क्वायरी की कोई
जरूरत नहीं है। लेकिन सारी दुनिया में आपके नाम
पर मार-काट करने वालों पर कैसे नियंत्रण होगा ? वे
आपका राज कायम करना चाहते हैं और आप कहते
हैं कि हमारा पॅलिटिक्स से कोई वास्ता ही नहीं !
किसी को अपने नाम का गलत इस्तेमाल करने से
तो नहीं रोक सकता, लेकिन यकीन दिलाता हूँ कि
उन लोगों की कोई दुआ कुबूल नहीं होगी।
धन्यवाद, मिस्टर अल्ला !
*
स्वर्ग में बैठक चलती रही। परन्तु धरती पर सनाका
मार गया। किस मुल्ला-मौलबी में हिम्मत थी कि
अल्ला के खिलाफ फतवा जारी करे !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment