Saturday, May 21, 2022

सुधा सिन्हा 14.4.2022 कुलदेवता

कुलदेवता सामाजिक सौहार्द्य पर तर्क-वितर्क हो रहा था। देखते-देखते तीखी नोक-झोंक होने लगी। दरअसल, जब एक पक्ष की प्रतिभागी महिला ने हिन्दुओं की पूजा-पद्धति और उनके अनगिनत देवी-देवताओं पर भोड़ा कटाक्ष कर दिया, तभी स्थिति बिगड़ गयी। एंकर के साथ विश्लेषक ने स्थिति को सम्भालने की कोशिश की। *परन्तु लीपा-पोती से यह स्थिति सम्भलने वाली नहीं है।हिन्दू- विद्वेषी समूह, अपने मनोविकार को सजा-धजा कर दुनिया भर में पोस्ट कर रहा है; उसे इस बात की परवाह नहीं है कि उसकी बातें कितनी हास्यास्पद होती हैं। लेकिन ! उन बेतुकी बातों को हँसी में उड़ा कर छोड़ देना भी हिन्दुओं के हित में नहीं है। हिन्दू-विद्वेषियों को समय पर और सही उत्तर मिलना ही चाहिए। यह कह कर टाल देने से काम चलने वाला नहीं है कि वे लोग अज्ञानवश ऐसा करते हैं। हिन्दुत्व ''धर्म'' है। धर्म शब्द का अनुवाद करने केलिए अंग्रेजी में कोई उपयुक्त शब्द नहीं है। इसे रेलिजन नहीं कहा जा सकता। अंग्रेजी शब्द रेलिजन का भावार्थ है 'बाँधना', जबकि ''धर्म'' का प्रयोजन ''मुक्ति'' है। संसार के प्रचलित रेलिजनों से सर्वथा भिन्न यह ''धर्म'' राजाश्रय में नहीं पलता; बल्कि स्वयं ही हिन्दू हृदयों पर राज करता है। इस ''धर्म'' में जो देवत्व है, वह माता के समान प्रेम से सुख-सुविधा देकर पालन-पोषण करता है, पिता की तरह सुरक्षा देता है और गुरु बन कर अज्ञान दूर कर देता है। यह ''धर्म'' गाढ़े समय में काम आने वाला मित्र और अपनत्व देने वाला प्रेमी है। इस ''धर्म'' के अनुग्रह से हर हिन्दू को अपना इष्ट चुनने की छूट है; व्यक्ति अपनी आत्मा के आदेश पर, ''धर्म'' की देवत्व उजाले बाँट दो गुंफित व्यापक सत्ता में, अपने मनोनुकूल आश्रय ढ़ूँढ़ लेता है। और, वही श्रद्धास्पद आश्रय व्यक्ति का, समूह का, गाँव का अथवा कुल का देवता होता है। यह है हिन्दुत्व का चमत्कार; एक ही अग्नि अपने विविध रूपों में प्रदीप्त होकर व्यक्ति से लेकर राष्ट्र तक को आलोकित करती है। और, यही आलोक हिन्दू को सामर्थ्यवान बनाता है, उसके परिवेश को महिमा मंडित करता है। तथास्तु।

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