Saturday, May 21, 2022

सुधा सिन्हा 12.12.2021 वास्तविकता

वास्तविकता किसी ने मुसलमानों की हीनता को लक्ष कर कहा कि यह कौम तो 'कुत्ते की जात' है। मै इससे असहमत हूँ; कुत्ता बहुत वफादार होता है। उसे गृही और घुसपैठिये की सही पहचान होती है और वह यथोचित व्यवहार करता है। वह कभी भी मनुष्य को कुत्ता बनाने का प्रयास नहीं करता। कुत्ता जहाँ रहता है, उस घर अथवा परिवेश को अपना मानता है। लेकिन वह इस कुचेष्टा में नहीं लगा रहता कि मालिक या वहाँ के मूल निवासियों को मार कर सबकुछ हथिआ ले। कुत्ता सिखाने से सीखता है। वह अकर्मण्य नहीं होता। वह बात-की-बात में उपयोगी बन जाता है। उसमें जन्मजात सौहार्द्य होता है। एक पालतू कुत्ता अपने बुजुर्ग स्वामी के निधन पर रो रहा था। लोगों ने बताया कि वह खाने को भी मुँह नहीं लगा रहा है। परिवार के अन्य सदस्यों के पैरों से लिपट कर वह अपनी व्यथा तथा समवेदना प्रकट कर रहा था। उसकी कोमल और छलहीन निष्ठा ने लोगों को अभिभूत कर दिया।किसी भी संदर्भ में, मुसलमान को कुत्ता कहने से कुत्ते जैसे विश्वसनीय और संवेदनशील जीव का अपमान होता है। *आपने समाचार देखा ही होगा; J. K. Bank ने एक मुसलमान महिला कर्मचारी को उसके निन्दनीय, नियमविरुद्ध आचरण केलिए निकाल बाहर कर दिया। जब परम नायक स्वनामधन्य विपिन रावत जी के असमय निधन ने, एक छोर से दूसरे छोर तक सम्पूर्ण भारत को शोकाकुल बना दिया था, तब वह बेगैरत मुसलमान औरत उनके प्रति जहर उगलने में असंवैधानिक रूप से सोसल मीडिया का भी दुरुपयोग करने में लगी थी।बैंक द्वारा, उस मुसलमानी विकृतिग्रस्त औरत के विरुद्ध, संवैधानिक प्रवधानों के अनुसार कार्यवाई की गयी। बैंक ने इस बात का भी खयाल रखा कि बेहूदे मुसलमानी दुराचरण के कारण, उसके स्वस्थ मानसिकता सम्पन्न बहुसंख्यक ग्राहकों की भावनायें आहत न हों। सम्भव है, बैंक को इस बात की चिन्ता हो गयी होगी कि लोग उन्हें बैंक के बदले पागलखाना न समझ लें। ॐ

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