Saturday, May 21, 2022

सुधा सिन्हा 21.03.2022 सफलता

सफलता कश्मीर में मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं के नरसंहार पर बनी एक फिल्म को लेकर बड़ा कोलाहल मचा है। दुखद बात है कि इस चर्चा से उन परिवारों के जख्म हरे हो गये हैं जिन पर दुख का वह पडाड़ टूट पड़ा था। जिस जनसमूह से इस कुकांड की भयानकता छिपायी गयी थी, उनकी संख्या बहुत बड़ी है। उन सब को इस सशक्त चलचित्र ने विचलित तथा संकल्पित कर दिया है। परन्तु ऐसे लोग भी हैं जो इसे हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द्य बिगाड़ने वाली फिल्म बता रहे हैं ! हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द्य ! ! ! अरे, काहे का सौहार्द्य ? कब बना सौहार्द्य ? किसने देखा ? किसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हो ? हिन्दू-मुस्लिम के बीच सौहार्द्य न कभी था, न अभी है, न आगे होगा। राजनैतिक या सामाजिक देहरी पर बड़ा बनने की कोशिश में लगे लोग ही इस नकली सौहार्द्य की पंखाडपूर्ण बात करते हैं; अन्य लोगों केलिए यह निरर्थक बकवास है। *हिन्दुओं को एक जुट कराने का जो काम बड़े-बड़े उपदेशकों से सम्भव नही हो पाया, वह इस फिल्म ने कर दिया; यह इसकी सबसे बड़ी सफलता है। तथास्तु। ॐ

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