Thursday, May 19, 2022
सुधा सिन्हा 18.05.2021 सिंहों के नहीं लेहँड़े
सिंहों के नहीं लेहँड़े
( सिंहों के नहीं लेहँड़े, हंसों की नहीं पाँत, लालन की नहीं बोडि़यां,
साधु न चलहिं जमात ।।)
सिंह के झुंड नहीं होते, हंस की कतार नहीं दीखती,
बोडि़यों में भर-भर कर कीमती सिक्के नहीं मिलते,
साधु जत्थों में नहीं चलते।
ॐ
संख्या से बडी चीज है गुणवत्ता; इसे इजराइल ने सिद्ध
कर दिया है। संख्या बल से यदि वर्चस्व कायम होता, तो
इस संसार में दीमकों का ही राज रहता। दीमक केवल दो
ही काम जानता है-- खाना और अपनी संख्या बढ़ाना।
*बर्बर 'रेशियल' विद्वेष जनित विपत्ति झेल कर यहूदियों ने
अपना वंश-कुल बचाया है। अपनी बुद्धिमत्ता, योग्यता तथा
विलक्षण जिजीविशा के बल पर उन्होंने अपने को कायम
रखा और, आज भी उनके स्वभाव तथा चरित्र का यह
ऐश्वर्य काम कर रहा है। मुसलमान आतंकियों के साथ
उनकी जो लड़ाई चल रही है, उसका हेतु बित्ते भर की एक
जमीन नहीं है; असली कारण है सम्मान पर आघात।
*दर-दरीचे में घुसपैठ करने वाला दीमक एक ओर उसे चाट
कर नष्ट करता है और दूसरी ओर अपनी तादाद भी
बढ़ाता जाता है। लेकिन यह तभी तक चलता है, जब तक
हम उस पर कीट-नाशक रसायन का छिड़काव नहीं कर
देते। तथास्तु।
सुधा
9047021019
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