Saturday, May 21, 2022

सुधा सिन्हा 23.11.2021 राष्ट्रघाती

राष्ट्रघाती कांग्रेसी मणिशंकर अय्यर का पाकिस्तान जाकर न्योता देना, सम्भवत: आपको भी याद हो; वह घरेलू निमंत्रण नहीं था। वह थी, शत्रु देश के साथ मिल कर, भारत की तत्कालीन सत्तासीन सरकार को उखाड़ फेंकने की असफल कोशिश। उसने पाकिस्तान से गुहार की थी-उनको हटाइये, हमें लाइये !!! भारत की हानि के जाल बुनने केलिए ही जिस कांग्रेस का गठन किया गया हो, उससे हम किसी शुभ-लाभ की तो अपेक्षा नहीं ही कर सकते। परन्तु इस गये-बीते दल में भी मणिशंकर अय्यर की जगह कूडेदान में ही बनती है। मलिनता का प्रहरि बने रहने की अपनी उपयोगिता सिद्ध करने केलिए यह सदा ही देश को हानि पहुँचाने की बातें करता है। इन दिनों, भारत का उत्कर्ष देख-सुन कर इसका मुँह अधिकाधिक स्याह पड़ता जा रहा है। भारतीय सैन्यबल की जगत प्रसिद्धि से तो यह अधमरा ही हो गया है; हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगा है--सेना को इतना सशक्त मत बनाओ-- इसकी कीर्ति सही नहीं जाती। दरअसल, भारतीय सेना की धमक ने इसे शत्रुओं के खेमे में जाकर मुँह दिखाने लायक नहीं रहने दिया। राष्र्रघाती की यही करम-गति होती है। अपने ही विष की आग में जलने वाले साँप की तरह सर पटक-पटक कर मरना इसकी नियति है।

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