Saturday, May 21, 2022

सुधा सिन्हा 26.4.2022 घुसपैठिये और घूस

घुसपैठिये और घूस विषम स्थिति है; रोहिंगिया और बांग्लादेशी जत्थों को भारत की अनेक सीमाओं से अंदर घुसाना और यहाँ रहने-सहने का ''इन्तजाम'' कराना एक काला धंधा बन गया है। इस राष्ट्रविरोघी कलुषित व्यवसाय का वित्त-यंत्र है ''घूस''। सीमावर्ती चुस्त पहरे में सेंध लगा कर उन्हें प्रवेश कराने से लेकर जन्म प्रमाणपत्र, नागरिकता, रोजगार, जर-जमीन, घर-दुआर और मुफ्त राशन तक का गैरकानूनी प्रबन्ध हो जाता है। उन नकली नागरिकों को भारत सरकार, राज्य सरकार तथा भारत के असली नागरिकों के विरुद्ध बोलन-चलने का पूरा अधिकार होता है। वे भाड़े पर उठने वाले भीड़तंत्र के मुखर तत्पर यंत्र होते हैं; कहीं भी अराजकता फैला सकते हैं। उनको लाचार, बेचारा, असहाय, साधनहीन, विवश, दुखी, प्रताडि़त बताया जाता है। उनकी पीड़ा को विश्व समाचार पटल पर रखने के उद्देश्य से, एक विदेशी संवाददाता उस नकली समुदाय के एक सदस्य से कुछ जानना चाहता था; उसे लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ी क्योंकि वह खाया-पिया, संतुष्ट-सा दिखने वाला तथाकथित पीडि़त आदमी अपने कीमती सेल फोन पर किसी गैरभारतीय भाषा में बात कर रहा था। उसकी फोन-वार्ता की दीर्घता संवाददाता केलिए जब असहनीय हो गयी और उसने उठ कर चल देने का संकेत दिया, तब उस रोहिंगियाश्री ने झटके से फोन काटा, अपने आवास के भीतर गया, अति आधुनिक अंतर्वस्त्र के ऊपर गंदी-फटी कमीज डाल कर संवाददाता महोदय के रू-ब-रू हुआ। वह अपनी गृहणी को कहता आया था; थोडी ही देर में सुगंधित चाय से भरे दो कप उजाले बाँट दो भी आ गये। चाय की चुस्की के साथ वह अपनी व्यथा-कथा सुनाने लगा। चतुर संवाददाता सुनने से अधिक गुनने लगा था। उसे यह समझने में देर नहीं लगी कि यह व्यक्ति नितान्त कृतघ्न है; जिस परदेश में यह सारी सुख-सुविधायें पाकर जीवन यापन कर रहा है उसी के विरुद्ध विष उगल रहा है ! उससे रहा नहीं गया, उसने पूछ ही दिया-'आप तो आराम से रह रहे हैं न ?''खाक आराम है, हर घड़ी विदेशी होने का ताना देते रहते हैं।''आप तो यहाँ विदेशी ही हैं।''नहीं जी ! मेरे पास नागरिकता प्रमाणपत्र है।' *भारत में जिस तत्परता से कोरोना-निरोधक टीका तैयार किया गया, उसी उद्यता से रोहिंगिया-बांग्लादेशी जन-संक्रमण से देश को बचाने केलिए प्रतिरोधी नीति बनानी होगी। कोरोना की तरह ही रोहिंगिया-बांग्लादेशी घुसपैठी राष्ट्र केलिए संहारक रोग है। भारत की संस्कृति तथा इसके ऐश्वर्य, गुण-गौरव की रक्षा हेतु देश का बहुसंख्यक जनगण केन्द्रीय सत्तासीन दल के साथ है। अविलम्ब रोहिंगिया-बांग्लादेशी मुसलमानों को भारत की सीमा से बाहर करने का कानून बना कर कार्यान्वित किया जाय। तथास्तु।

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