Thursday, May 19, 2022

सुधा सिन्हा हिन्दुत्व की सम्पूर्णता 13.03.2021

हिन्दुत्व की सम्पूर्णता सम्पूर्णता कोई काल्पनिक या अस्थायी स्थिति नहीं है। इसके साथ आं‍शिकता का मेल-मिलाप नहीं है। यह पहन या ओढ़ कर दिखाने और उतार कर फेंकने वाला आवरण या उपकरण नहीं है। इसमें कोई कृत्रिम औपचारिकता नहीं होती; स्वाभाविकता की आधार भूमि पर इसका अस्तित्व टिका होता है। सम्पूर्णता में एक सात्विक सबलता है जो इसे बाह्य आधातों से बचाती है। यही सामर्थ्य इसे सुरक्षित भी रखता है। संवेदनशीलता के साथ आश्रयदाता बनने की प्रवृत्ति भी इसी क्षक्ति पर आधारित है। सम्पूर्णता की स्थिति में ही, लौकिकता को पारलौकिकता की ओर उन्मुख करने और बाह्य को अंतर के साथ जोड़ने की क्षमता का उद्भूत होना सम्भव है।हिन्दुत्व सम्पूर्णता के ऐश्वर्य से प्रतिष्ठित है। इसमें स्थायित्व है, स्वाभविकता इसकी स्थिति है, सात्विक सबलता एवं संवेदनशीलता इसके स्वभाव के अंग हैं, यह सतह से लेकर गुह्यतम क्षेत्र तथा लोक-परलोक तक सूक्ष्म संक्रभण में समर्थ है। हिन्दुत्व की प्रामाणिक पवित्र सनातनता को विशुद्ध आस्था तथा अडिग निष्ठा ने जिस रीति से बनाये रखा है वही इसके भविष्य की निरन्तरता सिद्ध करती है। तथास्तु। 13.03.2021 सुधा 9047021019

No comments:

Post a Comment