Saturday, May 21, 2022

सुधा सिन्हा 24.03.2022 मेहरबान

मेहरबानी कई बार मुसलमानों को कहते सुना है कि भारत में वे हिन्दुओं की मेहरबानी पर नहीं रह रहे हैं। उनके कहने का तात्पर्य है कि वे अपनी कौमी हैवानियत के बल पर बने हुए हैं। हजार बरस से यहाँ हिन्दू-हनन में लगे रहने पर भी यह दरिंदा सम्प्रदाय हिन्दुओं की जीवन्त सहिष्णुता का रहस्य समझ नहीं पाया है। और, भविष्य में समझेगा इसकी कोई सम्भावना नहीं है। अपनी पाशविक हीनता और दिमागी दरिद्रता से नहीं निकल पाने के कारण यह कौम और भी बनैला होता जा रहा है। बहुविवाह, अनियंत्रित यौन, अनगिनत बच्चे पैदा करने को इस कौम ने अपनी युद्धनीति बना ली है। इसके अपवित्र दुराचरण की लम्बी फेहरिश्त है। अगर आप इसके किेसी कुचाल पर उँगली उठायें तो यह हंगामा खड़ा कर देता है; बात-बात पर इसका रेलिजन ही खतरे में पड़ जाता है। यह भारत सरकार तथाबहुसंख्यक हिन्दुओं को अपना शत्रु मानता है। राष्ट्र, हिन्दुत्व और सर्वोपरि मानवता की खातिर इस अर्धपशु सम्प्रदाय को इसकी औकात बता देनी है। भारत में इसे राजनैतिक चुनावों में मत देने के अधिकार से वंचित कर दिया जाए। एक से अधिक विवाह करने पर नागरिकता छीन ली जाए और दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर सपरिवार देश निकाला हो। सरकार को कानूनी तौर पर और बहुसंख्यक हिन्दुओं को सामाजिक रीति से इसे बता देना है कि यह राष्ट्रघाती, हिन्दूविद्वेषी सम्प्रदाय किसी मेहरबानी का पात्र नहीं है। तथास्तु। ॐ

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