Thursday, May 19, 2022

सुधा सिन्हा ज्ञान बनाम अज्ञान 15.04.2021

ज्ञान बनाम अज्ञान सारे संसार में, किसी-न-किसी रूप में, ज्ञान-अज्ञान के वर्चस्व को लेकर संघर्ष चलता ही रहता है। लम्बी तथा अनवरत यात्रा ने ज्ञान को एक विशेष मुकाम पर पहुँचा कर विकास की सम्भावनाओं से भर दिया है। ज्ञान का यह सात्विक आग्रह स्वाभाविक है कि उसे निचले पौदान पर अज्ञान के साथ बैठने को विवश न किया जाये। सूक्ष्म जगत के रहस्यों से अनभिज्ञ अज्ञान, अपने खोखलेपन को ही नकली सूक्ष्मता का नाम देकर, इस बात की हिंसक जिद ठाने है कि संसार को अज्ञानी ही बने रहना पडेगा---खबरदार जो समझदारी की बात की तो !!! वह संसार में अज्ञान का जंगलराज बनाये रखने हेतु ज्ञान को मिटा देना अपना पाशविक कर्तव्य मानता है। सारी दुनिया में अलग-अलग ढंग की प्रतिक्रियाओं द्वारा यह द्वन्द्व रूढ़ हो गया है। ज्ञान को ढिढोरा पीटने की आदत नहीं है; उसकी शालीनता ही लोगों को आकर्षित करती है। अज्ञान में सत्य का सामना करने का साहस नहीं है; वह मिथ्या नामक अपनी cheer dealer द्वारा सामूहिक भ्रम फैला कर यथार्थ को झुठलाने में लगा रहता है। *फ्रांस ने अज्ञान के विरुद्ध जो अभियान छेड़ा है, उसमें कोई नयी बात नहीं है; यह प्रतिरोध लगभग बारह सौ साल पहले ही भारत शुरु कर चुका है। मिथ्या ने भले ही ज्ञान की कार्रवाइयों को ओझल कर दिया हो, परन्तु जनमानस पर उनका अमिट सक्रिय अंकन बना हुआ है। तथास्तु। 15.04.2021 सुधा

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